योगा के ब्रांड हैं बाबा रामदेव
विवेक ज्वाला ब्यूरो।
महर्षि पतंजलि की योग परंपरा भारत में अधिक संमृ(शाली रही है। योग भारत की वैदिक और प्राचीन परंपरा रहा है लेकिन आधुनिक भारत में योगगुरु बाबा रामदेव ने इसे वैश्विक पहचान दिलाई। आज बाबा रामदेव पतंजलि योग व्यवस्था के संवाहक बन गए हैं। दुनिया भर में योग की महत्ता स्थापित करने में पतंजलि योग संस्थान ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। योग और आयुर्वेद को उन्होंने वैश्विक स्वीकारोक्ति बना दिया। पतंजलि योग में योग साधना के आठ आयाम हैं जिसमें यम, नियम, आसन, प्रसणायाम, प्रत्यहार, धारणा, ध्यान और समाधि है। जिसका नतीजा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल से संयुक्तराष्ट्र संघ ने इसके महत्व को स्वीकार किया है। पतंजलि योग परंपरा में अष्टांग योग का वर्णन आता है। यह सांसारिक धर्म और कर्म से मुक्ति पाने वालों के लिए अनुशासित और वैदिक मार्ग है। योग का इतिहास प्राचीन है। सिंधु घाटी सभ्यता का भी संबंध योग से है।
प्राचीन काल की कई मूर्तियां योग मुद्रा में स्थापित हैं। भगवान शिव को योग मुद्रा में देखा जा सकता है। बु( की मूर्तियां भी योग साधना में स्थापित हैं। बौ( और जैनधर्म में भी योग की महत्ता पर काफी कुछ है। बौ( और धर्म के अलावा ईसाई और इस्लाम में सूफी संगीत परंपरा में भी योग की बात आयी हैं। 21 जून विश्वयोग दिवस मनाया जाएगा। इसे लेकर पूरे देश में तैयारियां जोरों पर हैं। पिछले साल दिल्ली के राजपथ पर भव्य आयोजन किया गया था। इस साल भी व्यापक कार्यक्रम और नीतियां बनाई गई हैं। पूरा देश योग को वैश्विक सार्वभौंमिक स्वीकारोक्ति बनाने में जुटा है। इसमें कोई दोराय नहीं कि योग गुरु बाबा रामदेव ने योग को दुनिया में नई पहचान बनायी। बाब रामदेव ने विदेश की कंपनियों को मात देने के लिए बड़ा बाजार खड़ा कर लिया है। दस हजार करोड़ से भी अधिक का उनका व्यवसाय खड़ा हो गया है। योग और आयुर्वेद के आधार पर उनका हर रोज बाजार में एक नया उत्पाद आ रहा है। उन्होंने योग को नई पहचान और दिशा दिलाई है इस पर सवाल नहीं उठाए जा सकते हैं। भारत की योग व्यवस्था को पटल पर लाने में योग गुरु बाबा रामदेव और बीकेएस अयंगर के योगदान को नहीं भूलाया जा सकता है।
धार्मिक झगड़ों से मुक्त हो योग
योग को व्यापक नजरिए से देखा जाना चाहिए। इसे धार्मिक विवादों में नहीं लाना चाहिए। योग और धर्म में कोई ताल्लुक नहीं है। पिछले साल योग दिवस पर वैदिक मंत्रोच्चार पर सवाल उठाए गए थे। इस्लाम धर्म के कुछ लोगों ने इसका विरोध किया था जबकि विरोध करने वालों से कहीं
अधिक समर्थन करने वालों की संख्या थी। इसमें ईश साधना के श्लोक को सरकार को हटाना पड़ा था। योग में शामिल होने वाले किसी भी धर्म के लिए यह आवश्यक नहीं है कि वह दूसरे धर्म से संबंधित मंत्र या श्लोक का पाठ करें। सरकार की तरफ से यह पक्ष रखने के बाद इस विवाद पर विराम लग गया था। योग को हिंदू धर्म से जोड़ कर इसकी उपलब्धि को कम करने की कोशिश करना है। यह साजिश मुस्लिम बु(िजीवी की ओर से अमान्य कर दी गयी। योग को धर्म से जोड़ना नाइंसाफी होगी। बदले दौर में योग का स्वरूप बदल गया है। हम केवल इसे हिंदू धर्मग्रंथों से बांध कर नहीं रख सकते। योग ज्ञान अब व्यापक हो चला है। भारत और दुनिया में 20 करोड़ से अधिक लोग योग साधना का लाभ उठा रहे हैं। आधुनिक युग की व्यस्त दिनचर्या में योग हमारे लिए अमृत है। अपनी जिंदगी को खुशहाल और डिप्रेशन मुक्त बनाने के लिए योग हमें खुला आकाश देता हैं। इसे हम धर्म, जाति, भाषा, संप्रदाय और मुल्कों की सीमा में बांध कर स्वयं का और राष्ट्र का अहित करेंगे।
योगा गुरु की तरफ बढ़ता कदम
स्ंायुक्तराष्ट्र संघ में योग की मान्यता सामान्य बात नहीं थी लेकिन भारत अपने बौ(िक कौशल और तर्कों के माध्यम से वैश्विक देशों को एक मंच पर लाने में सफल हो गया। भारत की कूटनीति का यह एक अहम हिस्सा था। भारत में योग की परंपरा 5000 साल पुरानी है। भारतीय मिशन ने संयुक्तराष्ट्र संघ में 11 अक्टूबर 2014 को इसका प्रस्ताव दिया था। अमेरिका और यूरोप समेत दुनिया के 177 देशों ने भारत के पक्ष में वोट दिया। भारत अब दुनिया का विश्वगुरु बन गया है। हम योग के 21 आसनों को अपना कर अपनी जिंदगी को सुखी, शांत और निरोगी बनाकर खुशहाल और उन्नतशील जीवन जी सकते हैं। वहीं राष्ट्र निर्माण और विकास में अपनी अहम भूमिका निभा सकते हैं।
आधुनिक जीवन शैली की जरुरत है योग
आधुनिक भारत में जीवन शैली में तेजी से बदलाव आ रहा है। इंसान के जीवन में नित्य नई चुनौतियां आ रही हैं। भाग दौड़ की जिंदगी में उसे सोचने तक का वक्त नहीं मिल रहा है। हर मोड़ पर उसे संघर्ष करना पड़ रहा है। लोगों की जीवन शैली और दिनचर्या तेजी से बदल रही है। इंसान की जिंदगी इतनी व्यस्त हो चली है कि उसकी जीवन की मस्ती खत्म हो चली है। बढ़ती जिम्मेदारियों और अर्थ की प्रधानता की वजह से रिश्तों में दरार और तनाव आम बात हो चली है। लोग खुद के लिए समय नहीं निकाल पा रहे हैं। डायबिटीज, हाईपर टेंशन, भूख न लगना, थकान, सैक्सुवल अनिच्छा जैसी बाते तनाव का कारण बन रही हैं जिसका समाधान किसी चिकित्सा विज्ञान में मौजूद नहीं है। इंसान अपने को स्वस्थ और एकाग्रचित्त रख इस समस्या से निपट सकता है। उसके पास कोई दूसरा रास्ता नहीं बचता है। इन सब की मुख्य वजह प्राकृतिक जीवन शैली से दूर भागना है। भोजन-पानी में बदलाव प्रमुख कारण है। हमारा पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है जिसकी वजह से मानव जीवन तमाम बीमारियों और संघर्षों को झेल रहा है।
इसका एक उपाय है सिर्फ योग। योग के जरिए अपने मन, मस्तिष्क को स्थिर कर अच्छा जीवन जी सकते है। योग हमें प्रकृति के अधिक नजदीक लेकर जाता है। क्योंकि हमारे शरीर का निर्माण भी पांच तत्वों से हुआ है। उनमें जब विकार पैदा होंगे तो स्वाभाविक रूप से हम और हमारी दिनचर्या प्रभावित होगी। उस स्थिति में हमारे पास सिर्फ एक विकल्प योग बचता है। यह संभावनाओं को संभव बनाता है। योग को अपना कर हम तन, मन और जीवन को स्वस्थ और खुशहाल रख सकते हैं। दुनिया भारत की वैदिक ताकत को पहचान गयी है। यही वजह है कि योग को वैश्विक मान्यता मिली। आइए हम सब 21 जून को एक साथ अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर जिंदगी को खुशहाल बनाने और स्वस्थ भारत के निर्माण के लिए भोग से योग की तरफ कदम बढ़ाएं। योग हमारे स्वस्थ, सुंदर और स्वच्छ राष्ट्र निर्माण की पहली शर्त बनेगा।