भारत से सीखें पर्यावरण की रक्षा
विवेक ज्वाला ब्यूरो। भौतिक प्रगति की दौड़ में जब पूरी दुनिया भाग रही थी तो उसे पर्यावरण की चिंता ही नहीं रह गयीं लेकिन जब विभिन्न रूपों में प्राकृतिक आपदाएं अपना विकराल रूप दिखाने लगीं और नेचर जैसे पत्रिकाओं ने सचेत किया कि पर्यावरण का संतुलन नहीं रखा गया तो छठीं प्रलय को आने में देर नहीं लगेगी। तब उन कथित विकसित देशों को भी पर्यावरण बचाने की चिंता हुई। इसी के बाद पांच जून को विश्व पर्यावरण दिवस घोषित किया गया और साल भर में कम से कम एक दिन दुनिया भर के देश इस पर चिंतन करते हैं। भारत में तो प्रकृति को देवता के रूप में माना गया है। यहां कई वृक्षों की पूजा की जाती है। नदियों को माता कहकर सम्मानित किया जाता है।
प्रकृति के प्रति ऐसी ही भावना दुनिया भर में पैदा हो जाए तो पर्यावरण संतुलन कायम होने में देर नहीं लगेगी। विश्व पर्यावरण दिवस ;डब्ल्यू.ई.डीद्ध एक अभियान है, जो प्रत्येक वर्ष 5 जून को विश्व भर में लोगों के द्वारा मनाया जाता है। इस अभियान की शुरुआत लोगों के बीच में पर्यावरण के मुद्दों के बारे में वैश्विक जागरुकता लाने के साथ ही पर्यावरण के लिए सकारात्मक कदम उठाने के लिए की गई है। इसका संचालन संयुक्त राष्ट्रीय पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा किया जाता है और इसकी स्थापना संयुक्त राष्ट्र महासभा के द्वारा 1972 में की गई थी।
यह दिन विशेष रुप से वर्तमान वातावरण की स्थितियों पर ध्यान केन्द्रित करके पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए है। यह 100 से ज्यादा देशों के लोगों के द्वारा मनाया जाता है। यह वह दिन है, जब पर्यावरण के सन्दर्भ में जागरुकता कार्यक्रमों के माध्यम से राजनीतिक ध्यानाकर्षण के साथ ही सार्वजनिक कार्यों को बढ़ाने के लिए जनता और राजनेता इनसे प्रेरणा लेते हैं। लोगों को पर्यावरण के मुद्दों पर कार्य करने और विश्वभर में निश्चित व पर्यावरण के अनुकूल विकास का सक्रिय प्रतिनिधि बनने के लिए इस दिन को बनाया गया है। विश्व पर्यावरण दिवस के अभियान की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र की महासभा के द्वारा 1972 में की गई। यह प्रत्येक वर्ष जून के महीने में 5वीं तारीख को मनाया जाता है। यह मानव पर्यावरण दिवस पर स्टाॅकहोम सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर निकट भविष्य में पर्यावरण के मुद्दों पर ध्यान आकर्षित करने के लिए एक वार्षिक अभियान के रूप में घोषित किया गया था।
यह दुनिया भर में गर्म वातावरण के मुद्दों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए एक मुख्य उपकरण के रूप में संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित किया गया था। संयुक्त राष्ट्र द्वारा इस अभियान का मुख्य उद्देश्य लोगों के सामने पर्यावरण के मुद्दों का वास्तविक चेहरा देना और उन्हें विश्वभर में पर्यावरण के अनुकूल विकास का सक्रिय प्रतिनिधि बनाने के लिए सशक्त करना था। यह ;विश्व पर्यावरण दिवसद्ध सुरक्षित भविष्य का निर्माण करने के लिए पर्यावरण की ओर लोगों की धारणा में बदलाव लाने को भी बढ़ावा देता है। विश्व पर्यावरण दिवस मनाने के लिए विज्ञान, तकनीकी और पर्यावरण के लिए केरल राज्य परिषद द्वारा विभिन्न थीमों या विषयों पर आधारित राज्यस्तरीय गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। 2016 के विश्व पर्यावरण दिवस की थीम “जीवन के लिए जंगली जीवन में गैर कानूनी व्यापार के खिलाफ संघर्ष” थी। इस अभियान की शुरुआत इस ग्रह ;पृथ्वीद्ध की प्रड्डति की रक्षा करने के लिए लोगों को पर्यावरण के लिए सकारात्मक कदम उठाकर प्रेरित करने के लिए की गई है। इस अभियान की घोषणा संयुक्त राष्ट्र के मानव पर्यावरण के सम्मेलन की शुरुआत में की गई थी।
इसका संचालन संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा किया जाता है। विश्व पर्यावरण दिवस के 2015 के कार्यक्रम के आयोजन पर भारत के प्रधानमंत्री, नरेन्द्र मोदी ने अपनेआधिकारिक निवास स्थल ;7, रेस कोर्स रोड, नई दिल्लीद्ध पर पौधारोपण किया था। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य मीडिया और मशहूर हस्तियों की इस कार्यक्रम में भागीदारी के माध्यम से लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरुकता और प्रोत्साहन को बढ़ावा देना है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के सद्भावना दूत विश्व पर्यावरण दिवस में भागीदारी के लिए विश्वभर में संदेश भेजते हैं। यह अभियान लोगों को इस कार्यक्रम से बड़ी संख्या में जोड़ने के लिए एक निमंत्रण है, ताकि लोग वातावरण की वास्तविक स्थिति को समझें और पर्यावरण मुद्दों के दुष्प्रभावों के खिलाफ प्रभावी कार्यक्रमों के साथ जलवायु परिवर्तन से मुकाबला करने के लिए पर्यावरण प्रतिनिधि बनें। हमें बेहतर भविष्य के लिए इस कार्यक्रम में शामिल होना चाहिए और अपने पर्यावरण को सुरक्षित रखने की प्रतिज्ञा करनी चाहिए।
विश्व पर्यावरण दिवस एक अभियान है, पर्यावरण के नकारात्मक प्रभावों को रोकने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जाता है। इस अभियान की शुरुआत करने का उद्देश्य वातावरण की स्थितियों पर ध्यान केन्द्रित करने और हमारे ग्रह पृथ्वी के सुरक्षित भविष्य को सुनिश्चित करने के लिए पर्यावरण में सकारात्मक बदलाव का भाग बनने के लिए लोगों को प्रेरित करना है। विश्व पर्यावरण दिवस की घोषणा संयुक्त राष्ट्र महासभा के द्वारा मानव पर्यावरण के संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के अवसर पर हालांकि 1972 में हुई थी लेकिन, यह अभियान सबसे पहले 5 जून 1973 को मनाया गया। यह प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है और इसका कार्यक्रम विशेषरुप से, संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित किए गए वार्षिक विषय पर आधारित होता है। यह कार्यक्रम एक शहर के द्वारा आयोजित किया जाता है, जहाँ पर्यावरण से संबंधित विषयों पर चर्चा की जाती है, जिसमें बहुत सी गतिविधियों को शामिल किया जाता है।
हमारे वातावरण की सुरक्षा के लिए विश्वभर में लोगों को कुछ सकारात्मक गतिविधियाँ के लिए प्रोत्साहित और जागरुक करने के लिए यह दिन संयुक्त राष्ट्र के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन है। अब, यह 100 से भी अधिक देशों में लोगों तक पहुँचने के लिए बड़ा वैश्विक मंच बन गया है। विश्व पर्यावरण दिवस कार्यक्रम भारत में विशेषरूप से, स्कूलों और काॅलेजों में विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से मनाया जाता है। विद्यार्थियों के मध्य जागरुकता पैदा करने के लिए अध्यापक कुछ प्रभावी कार्यक्रमों के आयोजन की योजना बनाते है। जैसे- निबंध लेखन, भाषण देना, शिक्षा, विषय चर्चा, स्लाइड शो, क्विज प्रतियोगिता, कला प्रतियोगिता, बैनर प्रदर्शन, सेमिनार, संगोष्ठियों, निर्धारित विषय पर कार्यशालाएं, चित्रकला प्रतियोगिता, संबंधित विषय पर व्याख्यान, थीम पर आधारित प्रदर्शन, फिल्मी शो, कथन लेखन, आदि। इस प्रकार वातावरण की सुरक्षा के सन्दर्भ में विद्यार्थियों को सकारात्मक गतिविधियों के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।