इकोलाॅजी – सुरम्यता की ओर
विवेक ज्वाला ब्यूरो। आज हर देश पर्यावरण की समस्या से जूझ रहा है। वायु, जल, ध्वनि या भूमि के भौतिक, रासायनिक या जैविक गुणों में होने वाले अनचाहे परिवर्तन मनुष्य या अन्य जीवधारियों, उनकी जीवन परिस्थितियों, औद्योगिक प्रक्रियाओं एवं सांस्कृतिक उपलब्धियों के लिए हानिकारक साबित हो रहे हैं। इन समस्याओं से निजात पाने के लिए हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। लोगों को इसकी भयावहता के प्रति जागरूक किया जा रहा है। आने वाले समय में इसके और विस्तार की जरूरत महसूस की जा रही है। पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए इकोलाॅजी का अध्ययन आवश्यक है। इसके जरिए पर्यावरण के विभिन्न आयामों व उनके संरक्षण की विधिवत जानकारी मिलती है। विगत कुछ वर्षों से यह तेजी से उभरता करियर साबित हो रहा है।
इससे संबंधित पाठ्यक्रमों में छात्रों की तादाद बढ़ती जा रही है। जो छात्र इकोलाॅजी से संबंधित कोर्स करना चाहते हैं तो स्नातक में विज्ञान विषयों की पढ़ाई जरूरी है। बाॅटनी, बायोलाॅजी, जूलाॅजी एवं फाॅरेस्ट्री संबंधी विषय सहायक साबित होते हैं। इसके बाद स्नातकोत्तर कोर्स में दाखिला मिलता है। यदि छात्र शोध, शिक्षण तथा अन्य शोध संबंधी कार्य करना चाहते हैं तो उनके लिए स्नातकोत्तर डिग्री के बाद पीएचडी करना अनिवार्य है। इसके अलावा स्नातक स्तर पर पर्यावरण के एक अनिवार्य विषय घोषित हो जाने से भी शिक्षक के रूप में योग्य उम्मीदवारों की आवश्यकता रहती है। एनजीओ, वर्ल्ड बैंक की परियोजनाओं व सरकारी विभागों में इनकी काफी मांग है। ब्रांड मैनेजमेंट नाम में अव्वल हर कंपनी ग्राहकों की मांग को देखते हुए अपने उत्पाद की ब्रांडिंग करना चाहती है ताकि उसका उत्पाद बाजार में सबसे खास लगे। अपने उत्पाद को अलग ढंग से प्रस्तुत करने की यही कला ब्रांडिंग कहलाती है। ब्रांडिंग की इस प्रकिया में ब्रांड मैनेजर अहम भूमिका निभाता है।प्रतियोगिता के इस दौर में निश्चित तौर पर हर कंपनी अपने उत्पाद को अलग ढंग से प्रस्तुत करना चाहती है और यही वजह है कि इस तरह के पेशेवराना कोर्स की अब खूब मांग होने लगी है। इस कोर्स को ब्रांड मैनेजमेंट कहते हंै
जिसके अंतर्गत किसी खास उत्पाद को मार्केटिंग तकनीकों के प्रयोग से ग्राहकों के सामने इस ढंग से पेश किया जाता है ताकि उसकी छाप लंबे समय तक बरकरार रहे। बतौर ब्रांड मैनेजर भाषा पर अच्छी पकड़ होना जरूरी है। वहीं बाजार की पूरी जानकारी होने के साथ ही ग्राहकों की उत्पाद को लेकर क्या मांग है, उस पर भी पैनी नजर होना जरूरी है। इसी के साथ आपमें रचनात्मकता और लोगों से संपर्क साधने की कला भी होनी चाहिए।यह कोर्स करने के उपरांत आपके पास कई विकल्प होते हैं जहां से आप करियर की शुरुआत कर सकते हैं। शुरुआती तौर पर आप चाहें तो प्रोडक्ट मैनेजर या ब्रांड डेवलपमेंट मैनेजर के रूप में काम कर सकते हैं। आमतौर पर कोर्स पूरा करने के बाद छात्रों को देश की प्रमुख कंपनियों जैसे हिन्दुस्तान लीवर, गोदरेज, मंहिद्रा एंड मंहिद्रा, सन फार्मा, आदित्य बिरला ग्रुप, रिलायंस आदि में काम मिल जाता है।कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग संवाद का संसार आज के दौर में संचार जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है। मोबाइल हो या टीवी, यह हर इनसान की जरूरत है। क्या आप ऐसे जीवन की कल्पना कर सकते हैं जहां मोबाइल काम ना करे, अपने मनपंसद कार्यक्रम देखने के लिए आपके पास टेलीविजन ही ना हो? ऐसे जीवन की कल्पना करना भी आपको कितना अजीब लगता है ना। आपकी इन इच्छाओं को हकीकत में बदलने का काम करते हंै इलेक्ट्राॅनिक और कम्युनिकेशन इंजीनियर। इनकी बदौलत ही आज हर व्यक्ति पूरी दुनिया से जुड़ा हुआ है। आप चाहें तो इस क्षेत्र में अपना भविष्य तलाश सकते हैं। इलेक्ट्राॅनिक और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग का क्षेत्र बहुत ही विस्तृत व चुनौतीपूर्ण है। इसके अंतर्गत माइक्रोवेव और आॅप्टिकल कम्युनिकेशन, डिजिटल सिस्टम्स, सिग्नल प्रोसेसिंग, टेलीकम्युनि- केशन, एडवांस्ड कम्युनिकेशन, माइक्रोइलेक्ट्राॅनिक जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इंजीनियरिंग की यह शाखा रोजमर्रा जिंदगी में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। साथ ही इन्फाॅर्मेशन टेक्नोलाॅजी, इलेक्ट्रिकल, पाॅवर सिस्टम आॅपरेशंस, कम्युनिकेशन सिस्टम आदि क्षेत्रों में भी इसके महत्व को कम नहीं आंका जा सकता। इस क्षेत्र में करियर बनाने की चाह रखने वाले छात्रों को इलेक्ट्राॅनिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में बीटेक करना होगा। विभिन्न संस्थान इसमें छात्रों के लिए ढेर सारे विकल्प प्रस्तुत करते हंै। छात्र विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल कर सकते हैं या दोहरी डिग्री भी ले सकते हैं। कम्युनिकेशन इंजीनियरों का मुख्य काम होता है न्यूनतम खर्चे पर सर्वश्रेष्ठ संभावित हल उपलब्ध करवाना।
इस तरह वे रचनात्मक सुझाव निकालने में सक्षम हो पाते हैं। वे चिप डिजाइनिंग और फेब्रिकेटिंग के काम में शामिल होते हैं, सेटेलाइट और माइक्रोवेव कम्युनिकेशन जैसे एडवांस्ड कम्युनिकेशन, कम्युनिकेशन नेटवर्क साॅल्यूशन, एप्लिकेशन आॅफ डिफरेंट इलेक्ट्राॅनिक जैसे काम करते हैं और इसलिए कम्युनिकेशन इंजीनियरों की सार्वजनिक और निजी दोनों ही क्षेत्रों में अच्छी-खासी मांग होती है।इंजीनियरिंग की इस शाखा में पेशेवरों के लिए नित नए दरवाजे खुलते रहते हैं। कम्युनिकेशन इंजीनियर टेली- कम्युनिकेशन, सिग्नल, सैटेलाइट और माइक्रोवेव कम्युनिकेशन आदि क्षेत्रों में काम की तलाश कर सकते हैं। कम्युनिकेशन इंजीनियरों को टीसीएस, मोटोरोला, इन्फोसिस, डीआरडीओ, इसरो, एचसीएल, वीएसएनएल आदि कंपनियों में अच्छी-खासी पगार पर नौकरी मिलती है।