मोदी सरकार के तीन साल और तरक्की के नए आयाम
एक खुले वैश्विक परिदृश्य में आज कोई भी देश सिर्फ आंतरिक राजनीति और बाह्य डिप्लोमेसी के बल पर ही प्रगति नहीं कर सकता । आज के दौर में हर राष्ट्र की आर्थिक शक्ति ही उसके हर तरह के विकास का एकमात्र जरिया है। इसका अर्थ यह है कि विकास की हर नीति आपकी आर्थिक नीति से जुड़ी हुई है। एक खुले वैश्विक परिदृश्य में आज कोई भी देश सिर्फ आंतरिक राजनीति और बाह्य डिप्लोमेसी के बल पर ही प्रगति नहीं कर सकता । आज के दौर में हर राष्ट्र की आर्थिक शक्ति ही उसके हर तरह के विकास का एकमात्र जरिया है। इसका अर्थ यह है कि विकास की हर नीति आपकी आर्थिक नीति से जुड़ी हुई है।
मोदी सरकार ने सत्ता सँभालने के पहले दिन से ही इस बात को समझ लिया था और आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने की दिशा में चैतरफा प्रयास प्रारम्भ कर दिए थे। चाहे वो विदेशों से निवेश लाना हो, या फिर अपने ही देश में कौशल से जुड़े कार्यक्रम चलाकर, नवउद्यमियों को प्रोत्साहन देकर उन्हें देश के विकास का एक हिस्सा बनाना हो। आर्थिक समावेशिता की राह अपनाते हुए गरीबों, वंचितों को बैंकिंग व्यवस्था से जोड़ना और भ्रष्टाचार में बहते पैसे को उसके सही हकदार तक पहुँचाने की समुचित व्यवस्था करना इस सरकार की बहुत बड़ी उपलब्धि है। आज अगर भारतीय अर्थ- व्यवस्था की बात करें तो 7.9 प्रतिशत की विकास दर के साथ भारत बढ़ रहा है, जबकि दुनिया 3.1 प्रतिशत की गति पर है। स्टाॅक मार्केट नित नई ऊँचाईयों को छूता दिखता है। हमारी ऊर्जा क्षेत्र की हालत जो हमेशा खस्ता रही है, जहाँ इस सरकार ने गुजरे तीन साल में दस साल के बराबर काम किया है जिस वजह से आज हम कोयला और बिजली उत्पादन में मांग से ज्यादा पैदा कर पाने में सक्षम हो गए हैं। सौर ऊर्जा को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता इस बात की तरफ इशारा करती है कि हम जलवायु परिवर्तन आदि को लेकर अपनी भागीदारी गम्भीरता के साथ निभा रहे हैं। इस दौरान मुद्रास्फीति में व्यापक सुधार हुआ है, महँगाई घटी है और लोन दरों में सुधार की अहम् पहल करते हुए लोगों के जीवन को आसान बनाने की मुहीम मोदी सरकार ने शुरू की है। ये सब किसी जादू की छड़ी से संभव नहीं हुआ है बल्कि ये एक सतत और ईमानदार प्रयास का नतीजा है। इस सरकार द्वारा बेवजह की लालफीताशाही और स्थूलता से जकड़ी हुई कार्यप्रणाली को दुरुस्त करने का कार्य भी सतत रूप से चलाया जा रहा है।
क्रोनी कैपिटलिज्म की बलि चढ़ चुकी अर्थव्यवस्था जिसमें घोटालों का होना एक अनिवार्य सी लगने वाली बात हो गई थी, आज साफ सुथरी और अच्छे भविष्य को ताकती दिखती है। गाँवों में सड़क, बिजली, पानी, घर आदि की समस्या दशकों से घिसटती चली आ रही थी, उसे इस सरकार ने प्राथमिकता देते हुए मिटाने के लिए योजनाएँ बनाईं और सुनिश्चित किया कि इस पर बिना रुके काम होता रहे। हालांकि देखने से यह भी प्रतीत होगा कि इस सरकार की कई योजनायें पहले भी बन चुकी है तो फिर नया क्या है?तब फर्क यह करके देखिये कि पहले वो सिर्फ बनती थी, उसके लिए पैसे तय किए जाते थे लेकिन उसका फायदा किसी को हो न हो, सत्ताधारी दलों को जरूर होता था। लेकिन आज के दौर में नीतियाँ बनती हैं, और उनका क्रियान्वयन जमीन पर दिखता है।
इस सरकार में कांग्रेसी सरकारों की तरह पालिसी पैरालिसिस नहीं है, इसलिए जो योजना बनती है वह चलती भी और सफल भी होती है। मूलभूत समस्याओं से लेकर अत्याधुनिक बातों पर बल देते हुए इस सरकार ने अंदर और बाहर दोनों ही पटलों पर अपनी उपस्थिति मजबूत की है। आंतरिक समस्याओं में ड्डषि से लेकर, बैंकिंग, व्यापार, घर, पानी, बिजली, शौचालय जैसी समस्याएँ आज भी सरकारों का मुँह ताकती दिखती थीं, इस सरकार ने उन हालातों पर आज काबू पाया है। बाहरी समस्याओं में पड़ोसी देशों से बिगड़ते सम्बन्धों को बेहतर बनाने के लिए सरकार सजग, प्रतिबद्ध और सतत प्रयत्नशील है। गरीब कल्याण की योजनाएँ आज भारत सरकार के प्राथमिकता का क्षेत्र है। गरीबों को दवा मिले, स्वास्थ्य सुविधायें मिले, अस्पतालों की स्थिति बेहतर हो इसके लिए सरकार ने लगातार काम किए हैं। बीमा योजनाओं द्वारा लगातार कोशिश हो रही है कि एक रुपए से लेकर साढ़े तीन सो रुपए में ही गरीबों को दुर्घटना और जीवन बीमा के द्वारा सुरक्षा प्रदान की जा सके। मनरेगा में बढ़ते आवंटन के कारण गरीब लोगों को रोजगार के लिए बाहर भटकना नहीं पड़ रहा। काले धन पर विमुद्रीकरण द्वारा लगाया गया लगाम एक बेहतरीन और निर्णायक कदम था जिसके परिणामस्वरूप भ्रष्टाचार और संगठित भ्रष्टाचार करने वाले लोग आज भी कराह रहे हैं। काले धन के कुबेरों के यहाँ लगातार पड़ रहे छापे इस बात का सूचक हैं कि भाजपा सरकार इस समस्या के उन्मूलन के लिए संकल्पित है।
मोदी सरकार की उपलब्धियाँ सिर्फ आँकड़ों में ही नहीं है। इस सरकार की उपलब्धि ये भी है कि लोग अब विकास को मुद्दा मानने लगे हैं। जाति, धर्म, उपनामों वाली राजनीति को लोग कहीं भी जगह देने को तैयार नहीं है। उत्तर प्रदेश जैसी जगह को कभी भी तुष्टीकरण की राजनीति से बाहर आता देखना एक सपना सा था, और आज मोदी सरकार की नीतियों का ही ये फल है कि उस प्रदेश में भाजपा सरकार ने लोगों को विकास के मुद्दे पर वोट देने को मजबूर किया है। विकास का अर्थ है कि लोगों की जिन्दगी बेहतर हो। बेहतर जिन्दगी के मानदंड हैं कि उन्हें शिक्षा मिले, स्वास्थ्य सुविधा मिले, मूलभूत जरूरतों की पूर्ति हो, आवागमन हेतु सड़के हों, रहने को घर हो। इसके अलावा हर समाज, गाँव, राज्य आदि में आधारभूत ढाँचों की अहमियत देखते हुए उन पर काम हो। आज देश में सड़कों का जाल बिछ रहा है तो डिजिटल दुनिया में हम लगातार इंटरनेट प्रयोग में सबसे आगे निकलते जा रहे हैं । बुलेट ट्रेन भी चलने को तैयार है, और आज आम आदमी को ध्यान में रखकर छोटे शहरों को भी हवाई मार्ग से जोड़ने की कवायद चालू है। ये सब होना जरूरी है क्योंकि इससे व्यक्ति के अंदर ये विश्वास पैदा होता है कि हमारी सरकार हमारी बेहतरी चाहती है, और फिर वो भी इसमें योगदान देता है।
जब सरकारें सो जाती हैं तो लोग भी शिथिल हो जाते हैं। उनके सामने भ्रष्टाचार होता रहता है और वो कुछ नहीं बोलते क्योंकि भ्रष्टाचार को सरकारों के शीर्ष स्तर तक का संरक्षण प्राप्त रहता है। यही कारण है कि टूटी सड़क, गंदे पानी, बेरोजगारी, स्कूलों की दुर्दशा, खराब कानून और व्यवस्था, आदि के साथ भी लोग जीना सीख लेते हैं। मोदी सरकार ने उस तंद्रा से मुक्ति दिलाई है। लोग अपने अधिकार के लिए लड़ रहे हैं क्योंकि उन तक ये बात पहुँचाई गई है कि विकास में ही भविष्य है और वो विकास आर्थिक समावेशन से आता है। और यही मोदी सरकार की नीति रही है कि अगर हम अर्थव्यवस्था बेहतर कर पाएँगे तो पूरा का पूरा तंत्र बेहतर हो जाएगा। यूँ तो रास्ता लम्बा है, लेकिन एक अच्छी शुरुआत हो चुकी है।