नीतीश कुमार की गिरमिटी राजनीति
बिहार के लोग रोजी-रोटी के लिए कभी माॅरीशस गये थे। उनके एक हाथ में कपड़े-लत्तों की पोटली थी तो दूसरे हाथ में तुलसी बाबा की रामचरित मानस। बिहार के इन लोगों को गिरमिटी मजदूर कहा जाता था। इनकी निष्ठा एक तरफ अपने देश से थी, अपने धर्म से थी तो दूसरी तरफ चार पैसे कमाने की। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गत दिनों कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी द्वारा बुलायी गयी विपक्षी दलों की बैठक में शामिल नहीं हुए लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात करने पहुंच गये। यह मुलाकात एक भोज समारोह में हुई जो माॅरीशस के प्रधानमंत्री के सम्मान में दिया गया था। इसी के बाद तमाम राजनीतिक अटकलें लगायी जाने लगीं लेकिन नीतीश कुमार की गिरमिटी राजनीति ने सबका मुंह बंद कर दिया।
मामला चाहे नोटबंदी का हो या श्री मोदी के अन्य राष्ट्रीय कार्यक्रमों का, श्री नीतीश कुमार ने सभी का समर्थन किया है। बिहार में वह महागठबंधन की सरकार चला रहे हैं जिसमें लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सबसे ज्यादा विधायक हैं। इस सरकार में कांग्रेस भी साझेदार है। इन दिनों राष्ट्रपति चुनाव के बहाने विपक्षी दलों की एकता का अभियान चल रहा है। श्रीमती सोनिया गांधी ने इसी उद्देश्य से विपक्षी दलों की बैठक बुलाई थी लेकिन उस बैठक में श्री नीतीश कुमार नहीं पहुंचे। उनकी गैर हाजिरी पर तरह-तरह की चर्चाएं हो रही थीं। जद(यू) के नेता भी श्री नीतीश कुमार के भाजपा के प्रति लगाव से चिंतित हैं, राजद नेता तो खुलेआम कह रहे कि इससे महागठबंधन को नुकसान हो सकता है, फिर भी नीतीश कुमार के श्रीमती सोनिया की बैठक में न पहुंचने पर यह कहकर संतोष कर लिया गया कि कोई मजबूरी रही होगी। विपक्षी दलों का यह संतोष भी अगले दिन ही दरक गया जब श्री नीतीश कुमार प्रधानमंत्री के भोज समारोह पहुंच गये।
नीतीश कुमार कहते हैं कि माॅरीशस का बिहार से भावनात्मक रिश्ता है।
प्रधानमंत्री ने मुझे बिहार के मुख्यमंत्री के नाते बुलाया था, इसलिए उन्होंने आमंत्रण स्वीकार कर लिया। नीतीश कहते हैं कि विपक्षी नेताओं की बैठक में गैर मौजूदगी और माॅरीशस के प्रधानमंत्री के सम्मान में भोज में शामिल होने को अलग-अलग नजरिए से देखा जाना चाहिए। वह कहते हैं कि गंगा को अविरल करने के लिए भी श्री मोदी से बात करना जरूरी था। इसमें किसी प्रकार की राजनीति नहीं है। हालांकि राजनीतिक गलियारे में यही चर्चा है- समझने वाले समझ गए और ना समझे वो अनाड़ी है।