योगी ने पकड़ी बीमार अफसरों की नब्ज
विवेक ज्वाला ब्यूरो: बीमारी का सही इलाज तब तक नहीं हो पाता जब तक यह सटीक पता न चल सके कि बीमारी का कारण क्या है?चिकित्सा विज्ञान ने शरीर की बीमारी के कारण जानने वाले अत्याधुनिक उपकरण तैयार कर दिये है और पैथालाॅजी से भी जांच होती है लेकिन जब ये विभिन्न उपकरण नहीं थे तब सिद्धहस्त हकीम मरीज की नब्ज ;नाड़ीद्ध देखकर ही बीमारी का कारण समझ लेते थे। शरीर की तरह ही समाज भी बीमार पड़ जाता है और तरह-तरह की समस्याएं खड़ी होती हैं। समाज की व्यवस्था के लिए नौकरशाही उन नसों की तरह है जो शरीर में रक्त प्रवाहित करती रहती हैं। रक्त का प्रवाह रुक जाता है तो बीमारियां पैदा होती हैं। इसी तरह समाज में विभिन्न वर्गों को जो दायित्व सौंपा गया है, यदि वे अपना कार्य ठीक से नहीं करते, तब भी समाज उसी तरह बीमार हो जाता है, जैसे हमारा शरीर। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले दिनों लखनऊ में अधिकारियों के साथ बैठक करके उन अधिकारियों की नब्ज पकड़ ली जो अपना काम ठीक से नहीं कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने सवाल उठाया कि यदि जनता का काम उसके तहसील और जिलास्तर से ही हो जाता तो लोग लखनऊ में मुख्यमंत्री के दरबार में क्यों आते?इसका मतलब है कि जनता का काम वहां के अधिकारी नहीं कर रहे हैं।बीमारी का सही इलाज तब तक नहीं हो पाता जब तक यह सटीक पता न चल सके कि बीमारी का कारण क्या है?चिकित्सा विज्ञान ने शरीर की बीमारी के कारण जानने वाले अत्याधुनिक उपकरण तैयार कर दिये है और पैथालाॅजी से भी जांच होती है लेकिन जब ये विभिन्न उपकरण नहीं थे तब सिद्धहस्त हकीम मरीज की नब्ज ;नाड़ीद्ध देखकर ही बीमारी का कारण समझ लेते थे। शरीर की तरह ही समाज भी बीमार पड़ जाता है और तरह-तरह की समस्याएं खड़ी होती हैं। समाज की व्यवस्था के लिए नौकरशाही उन नसों की तरह है जो शरीर में रक्त प्रवाहित करती रहती हैं। रक्त का प्रवाह रुक जाता है तो बीमारियां पैदा होती हैं। इसी तरह समाज में विभिन्न वर्गों को जो दायित्व सौंपा गया है, यदि वे अपना कार्य ठीक से नहीं करते, तब भी समाज उसी तरह बीमार हो जाता है, जैसे हमारा शरीर। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले दिनों लखनऊ में अधिकारियों के साथ बैठक करके उन अधिकारियों की नब्ज पकड़ ली जो अपना काम ठीक से नहीं कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने सवाल उठाया कि यदि जनता का काम उसके तहसील और जिलास्तर से ही हो जाता तो लोग लखनऊ में मुख्यमंत्री के दरबार में क्यों आते?इसका मतलब है कि जनता का काम वहां के अधिकारी नहीं कर रहे हैं। मुख्यमंत्री के दरबार लगाने की परम्परा अब काफी पुरानी हो चुकी है। इसलिए योगी आदित्यनाथ भी उसे तोड़ नहीं सकते थे। मुख्यमंत्री से मिलने के लिए कई प्रकार के लोग आते हैं। इनमें कितने ही ऐसे होते हैं जो सिर्फ अपना चेहरा दिखाने के लिए सीएम आवास पर पहुंचते हैं। ये लोग राजनीतिक दल के अनुसार अपना हुलिया बना लेते हैं। इन दिनों ऐसे लोगों को लाल गेरूआ गमछा डाले देखा जा सकता है। यही लोग कभी हरी टोपी लगाकर या बैंगनी रंग की शर्ट पहनकर भी मुख्यमंत्री आवास पर पहुंचते रहे हैं। इनके अतिरिक्त दूर-दराज जिलों से अपनी समस्या लेकर आने वाले लोगों की भी खासी संख्या रहती है। ये लोग पहले जिला स्तर पर ही अपनी समस्या सुलझाने का प्रयास करते हैं लेकिन जब वहां इनकी बात नहीं सुनी जाती, तब वे मुख्यमंत्री के दरबार में अर्जी लेकर आते हैं।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने ऐसे ही लोगों के बारे में अधिकारियों से सवाल उठाया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साफ-साफ कहा कि अफसर काम लटकाने की प्रवृत्ति को बदलें। जनता की फरियाद सुनी जाने के लिए तहसील स्तर से व्यवस्था चल रही हैं। सप्ताह में एक दिन तहसील दिवस का होता है। इसके अलावा थाना दिवस की व्यवस्था भी पूर्ववर्ती सपा सरकार के समय से चल रही है। इन बैठकों में लोगों की समस्या और समाधान क्यों नहीं हो पाता है?मुख्यमंत्री से यह अपेक्षा करना कि वे तहसील स्तर की बैठकों में भी भाग लेंगे, संभव नहीं। हालांकि श्री योगी ने कहा कि वे तहसील पर होने वाले समाधान दिवस का भी औचक निरीक्षण कर सकते हैं। इससे अफसरों में कत्र्तव्य निर्वहन का भय पैदा हो सकता है लेकिन यह भय अच्छा नहीं है। अफसरों में अपने कत्र्तव्य के पालन के प्रति उत्साह होना चाहिए। योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि उनके भ्रमण और निरीक्षण के दौरान अलग से व्यवस्था नहीं होनी चाहिए। वह मानते है कि जनता का सम्मान ही मुख्यमंत्री का सम्मान है। अफसरों को दिखावा करने से परहेज करना चाहिए। अभी इलाहाबाद के अस्पताल में किराये के कूलर लगाने का मामला सामने आया था। मुख्यमंत्री के दौरे के बाद वे कूलर भी तुरंत हटा लिये गये तो मरीजों और उनके तीमारदारों ने आपत्ति जतायी। मामला मीडिया तक पहुंच गया। यह एक मामला नहीं है जब अफसर दिखावा करते हैं। इसीलिए सीएम योगी ने कहा कि दिखावे के लिए कोई व्यवस्था नहीं की जाए।मुख्यमंत्री योगी ने महत्वपूर्ण बात यही कही कि थाना और तहसील पर फरियादियों की समस्याओं का समाधान नहीं होता हैं, इसीलिए फरियादियों को बड़े अधिकारियों के साथ-साथ उनके अर्थात मुख्यमंत्री के पास भी आना पड़ता है। उन्होंने कहा कि यह सही नहीं है। इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों को दंडित किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों के साथ बैठक में कहा कि मंडल व जिला स्तर पर प्रत्येक दिन सवेरे 9 बजे से 11 बजे तक कमिश्नर, डीएम, एसएसपी व तहसील, ब्लाक स्तर के अधिकारियों को अपने-अपने कार्यालय पर उपस्थित होना पड़ेगा और जनता की शिकायतें सुननी होंगी। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि अफसर सोशल मीडिया पर भी मिलने वाली समस्याओं का निपटारा कराएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि फरियादियो की समस्याओं का समाधान करने के लिए टोल फ्री नम्बर जारी कराया जाए। जनता से सीधा संवाद करने तथा सोशल मीडिया को और अधिक सक्रिय करने के लिए सोशल मीडिया हब की स्थापना होगी।
फरियादियों की समस्याओं के समाधान के लिए हेल्पलाइन प्रारंभ करने का सुझाव भी मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने दिया है। अधिकारियों को कत्र्तव्य पालन के लिए तैयार करना सरकार की जिम्मेदारी है लेकिन अधिकारियों की समस्याएं भी उसे दूर करनी पड़ेगी। श्री योगी ने इस पहलू को भी समझा है। उन्होंने मुख्यमंत्री का पद संभालने के कुछ ही दिन बाद कहा था कि अधिकारी बिना किसी डर के अपना काम करें। यह निश्चित रूप से एक गंभीर समस्या है। अधिकारियों पर सबसे ज्यादा दबाव राजनीति का ही होता है। पूर्वांचल के एक पत्रकार साथी ने अपना अनुभव बताया कि एक बार वह उसी क्षेत्र के एक दबंग नेता के घर पर बैठे थे। कई अन्य लोग भी मौजूद थे। इतने में आठ-दस लोग एक इंस्पेक्टर को लेकर आए। इंस्पेक्टर की हुलिया से लगता था कि उन्हें प्रताड़ना दी जा चुकी है। नेता जी सब समझते थे फिर भी बड़ी दयालुता दिखाते हुए बोले अरे यही हैं इंस्पेक्टर साहेब! इन्हें अंदर लेकर बैठाइए। इस दौरान इंस्पेक्टर साहेब को अंदर बैठाकर किस तरह खातिरदारी की जा रही थी, यह पता बाहर बैठे लोगों को भी हो गया था। लात-धूसों की आवाज के साथ जब दर्द बाहर निकलता है तो उसमें साइलेंसर नहीं लग पाता। इंस्पेक्टर साहेब को खातिर दारी के बाद जब बाहर लाया गया तो नेता जी ने फिर अपनी नकली उदारता का मलहम लगाया और कहा अरे, ये इंस्पेक्टर साहेब तो बहुत अच्छे आदमी हैं, बहुत सीधे लगते हैं। खबरदार किसी ने इनको परेशान किया। अच्छा, इंस्पेक्टर साहेब बताइए कि क्या बात है?अब तक इंस्पेक्टर साहेब पर इतना कुछ गुजर चुका था तो वे कहने लगे साहब सब ठीक, आपकी कृपा। आप जो कहेंगे वही होगा। पूर्वांचल की यह घटना अकेली नहीं है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी कितने ही अफसरों को कथित जनसेवकों ने अपमानित, प्रताड़ित कराया और यहां तक कि उनकी जान भी ले ली गयी। मुख्यमंत्री श्री योगी अगर चाहते हैं कि अफसर अपना कार्य ईमानदारी से करें तो उन्हें दवाब से भी मुक्त कराना होगा। फिलहाल अभी कोई ऐसा मामला सामने नहीं आया जब अफसर को प्रताड़ित करने वाले नेता को सजा मिली हो। श्री योगी को अफसरों के अंदर यह साहस भी पैदा करना होगा ताकि वे अपनी हर प्रकार की समस्या को स्पष्ट रूप से बता सकें।