अगर भूख कौम के रास्ते आती है
अगर भूख कौम के रास्ते आती है
तो रोटी का भी कोई धर्म बता दो,
आप धनाढ्य हैं,आप बच जाएँगे
खेतिहरों का भी कोई साल नर्म बता तो,
दिल्ली की बाँहों में हैं सब रंगीन रातें
किसी मल्हारिन का भी चूल्हा गर्म बता दो,
बेटियों से ही सब उम्मीद की जाएँगी क्या
देश के संसद में भी बची हुई शर्म बता दो,
मन्दिर जाने से ही पाप-पुण्य होता है क्या
फिर आधुनिक बाबाओं का भी कर्म बता दो,
कविताएँ जो कह पाती सब की बातें
तो तहखानों में कैद ज्ञान का मर्म बता दो,
सलिल सरोज
