विवेक ज्वाला की ओर से दिवाली की शुभकामनाये
दिवाली प्रकाश का त्यौहार है| आप मैं हर कोई अपने आप में एक प्रकाश है , यह त्यौहार पुरे भारत में बड़े ही हर्ष और उल्लाश के साथ मनाया जाता है | इस दिन लोग एक दूसरे को दिवाली की शुभ कामनाएं देते है, और
मिठाइयाँ बाँटते हैं| दिवाली के समय हम बीते कल के सारे दुःख भूल जाते है| दिवाली बच्चो का सर्व प्रिय त्यौहार हो होता है क्योकि बच्चे मिठाई के आनंद के साथ पटाखे जलने का आनंद लेते है| इस दिन हर किसी के मन और चेहरे पर में ख़ुशी की रौनक अलग ही दिखाई देती है | इस दिन सब दुःख भुलाकर पटाखों की तरह अतीत भी चला जाता है,सब जल जाता है और मन नया बन जाता है। यही दिवाली है।
जिस तरह एक मॉम बत्ती की रौशनी चारो और फ़ैल कर अंधकार को मिटाती है , उसी तरह हमे भी मन के मेल को मिटाकर खुश और बुद्धिमान होना होगा | रोशनी को ज्ञान का द्योतक मानते हुए हम ज्ञान रूपी प्रकाश करते है, और आज उत्सव मनाते हैं।
ध्यान रखने योग्य बात :-
दिवाली के शुभ अवसर पर लोग मिठाइयां बाँटते हैं और पटाखे जलाते है |पटाखे जलाना हर कोई पसंन्द करता है , पटाखे जलते तो है मगर इसके धुएं से वातावरण प्रदूषित होता है| यह नहीं की पटाखे हमें जलाने नहीं चाहिए मगर वातावरण में बदलाव की वजह से पटाखे न जलना एक कारण है| हम वातावण का ही एक हिस्सा है और हमे शुद्ध वातावरण की आवश्यक्ता होती है | यही कारण है जो पटाखों के जलाने पर अवरोध लगाया गया है |