प्यासा मध्य प्रदेश |
मध्यप्रदेश में राज्य की 50% शहरी आबादी को पीने की पानी की पूर्ति रोज नहीं हो पा रही है. कई बड़े शहरों में 2 दिन में एक बार पानी मिलता है . कुछ शहरों में 3 दिन में एक बार पानी तो कुछ शहरों में 5 दिन बाद एक बार पानी. सरकार पीने के पानी पर करोड़ों रुपए खर्चा कर चुकी है इसके बावजूद प्रदेश में जल संकट है. यह हालात शहरों में है ग्रामीण क्षेत्र में तो सब कुछ भगवान भरोसे चल रहा है . 15 साल लगातार राज करने के बाद भाजपा पीने का पानी दे नहीं पा रही है और इसे सुशासन कहती है. क्यों नहीं मिल रहा है पीने का पानी? कहां गए करोड़ों रुपए जो खर्चा हुआ पानी पर? खुशहाल मध्य प्रदेश क्या सिर्फ विज्ञापनों में है ? इन तमाम सवालों के जवाब जानने के लिए देखते रहिए खबर के पीछे की खबर धोबी घाट पर अशोक वानखेड़े के साथ.
50 percent of the population population do not drinking water regularly. Bug cities like Indore get drinking water once in two days. Some cities get once in 3 days and some once in 5 days. The government spent hundreds of crores on drinking water. The situation in rural is even worst. Why did government fail to provide drinking water? Where has the spent money gone? Is happy MP only in advertisements? To get answers to these questions watch Khabar ke Piche ki Khabar on Dhobighat with Ashok Wankhade.