क्यो अहमद पटेल को नही जीतने देना चाहता है ये शख्श?
विवेक ज्वाला ब्यूरो
तीन महीने जेल में रहकर अमित शाह एक बात जान चुके थे… अगर उनका कोई सबसे बड़ा राजनैतिक दुश्मन है तो वो केवल अहमद पटेल है… परिस्थितियां साक्षी हैं कि राजनीतिक झगड़े के कारण अहमद पटेल ने अमित शाह को पुलिस एनकाउंटर के मामले में जेल करा दी थी… जिस देश में निर्दोष व्यक्तियों के एनकाउंटर में दरोगा जेल नहीं जाते, उसी देश में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों के एनकाउंटर में गुजरात के गृह मंत्री अमित शाह को जेल भेजा गया था… घटना के सात साल बाद आज भारत की सत्ता अमित शाह की मुट्ठी में है और सड़क पर अहमद पटेल खड़े है… प्रश्न केवल कुछ ही शब्दों का है- क्या अमित शाह, अहमद पटेल को क्षमा करेंगे ?
1988 में जब अहमद पटेल ने अमिताभ बच्चन के कई कॉन्सर्ट आयोजित कर कांग्रेस पार्टी के लिए 2.5 करोड़ का चंदा इकट्ठा किया तो उन्हें मालूम नहीं था कि कुछ वर्षों बाद पार्टी का सारा हिसाब किताब उनके हाथ आने वाला है… लेकिन पटेल का भाग्य कुछ ज्यादा ही अच्छा था… सन 2001 आते आते उनके हाथों में हिसाब किताब ही नहीं, पूरी पार्टी की बागडोर आ गयी और तब सोनिया गाँधी ने पटेल को अपना राजनीतिक सलाहकार बना दिया… कहने वाले कहते हैं कि 2004 और 2009 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस ने पटेल की रणनीति और तिगड़म के बल पर जीता था… इसलिए गाँधी परिवार के बाद कांग्रेस में सबसे ताकतवर मनमोहन सिंह नहीं पटेल को माना गया।
UPA राज में असली सरकार, अहमद पटेल ने ही दिल्ली के अपने बंगले से चलाई थी… लेकिन इतना रसूखदार के होने बावजूद पटेल ने खुद को बहुत Low profil रखा… वे मीडिया के कैमरों से भी दूर रहे… परन्तु होशियार पटेल एक गलती ज़रूर कर बैठे… वे गुजरात का अपना राजनीतिक झगड़ा नहीं भूले… शायद इसीलिए पटेल ने CBI से लेकर NIA जैसी केंद्रीय एजेंसियों के हाथों नरेंद्र मोदी और अमित शाह को प्रत्येक अवसर पर अपमानित कराया… वे चाहे इशरत जहाँ का मामला हो या अपराधी सोहराबुद्दीन क़ी पुलिस मुठभेड़ में मृत्यु, पटेल ने कभी शिंदे तो कभी चिदमबरम के साथ मिलकर शाह को जेल पहुंचाने के सारे प्रबंध करवाए… अहमद पटेल क़ी ज्यादतियां मोदी तो कुछ हद तक भूल गए… लेकिन अमित शाह को अपने जेल के दिन आज भी याद हैं… अमित शाह की गुजरात रणनीति से ऐसा लगता है।
दिल्ली में कांग्रेस का ऊँट, रायसीना की पहाड़ी से जैसे ही नीचे उतरा, पटेल के दिन लदते हुए दिखाई दिए… पहले हेलीकाप्टर घोटाले में उनका नाम उछला और अब राज्य सभा चुनाव में वो घिरते नज़र आ रहे हैं… पिछले 48 घंटों में जिस तरह गुजरात में कांग्रेस के विधायक टूट टूट कर बीजेपी के पाले में जा रहे हैं उससे ऐसा लगता है कि अहमद पटेल कहीं राज्य सभा का चुनाव हारकर सड़क पर ना आ जाएं… दरअसल अमित शाह हर कीमत पर पटेल को राज्य सभा चुनाव हराना चाहते हैं… बीजेपी के एक सांसद का कहना है कि “शाह यूं तो किसी को छेड़ते नहीं और छेड़ दिया तो छोड़ते नहीं”… जिस समय अमित शाह को गिरफ्तार करवाकर पुलिस मुठभेड़ के मामले में जेल भेजा गया था तब सारा खेल परदे के पीछे से अहमद पटेल खेल रहे थे…. क्या देश में अब तक किसी पुलिस एनकाउंटर में प्रदेश के गृह मंत्री को जेल भेज गया है… वो भी ऐसे मामले में जिसमे पाकिस्तानी आतंकी मारे गए थे… ये पराकाष्ठा नहीं थी तो क्या थी ? और आज सोनिया गाँधी चाहती हैं कि अमित भाई सारे झगड़े और दुःख भुलाकर अहमद पटेल को जिताएं।
सूत्रों के अनुसार अमित शाह स्वयं मानते हैं कि गाँधी परिवार से कहीं ज्यादा अहमद पटेल ने राजनैतिक विद्वेष वश उन पर आपराधिक मुकदमे दर्ज़ करवाए और जेल भेजने के लिए सब कुछ किया… यही नहीं हिमाचल के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह क़ी बेटी जो गुजरात हाई कोर्ट में तब जज थी, उन्होंने भी अमित शाह को जमानत देने से मना किया था… यानी अहमद पटेल हर स्तर पर शाह को घेर रहे थे… जानकारों का मानना है कि पटेल यूँ तो राजनैतिक गणित में कभी गलती नहीं करते लेकिन अमित शाह के मामले में कर बैठे… पटेल को लग रहा था कि इशरतजहां केस में अगर अमित शाह ज्यादा समय तक जेल में रहे तो मोदी क़ी चुनौती खत्म करने में कांग्रेस को ज्यादा दिन नहीं लगेंगे… पटेल दिल्ली और गुजरात दोनों में अपनी जगह मज़बूत करने क़ी प्लानिंग में थे… लेकिन शाह को जैसे ही जमानत मिली और सुप्रीम कोर्ट ने मोदी को गुजरात दंगो के मामले में क्लीन चिट दी तो चाणक्य क़ी भूमिका में पटेल धाराशायी हो गए और आज जब अहमद पटेल गुजरात से राज्य सभा लौटने के लिए संघर्षरत हैं तो अपने भाग्य का निर्णय उनके हाथ में नहीं है… सच तो ये है कि राज्य सभा में पटेल जायेंगे या नहीं… ये अब अमित शाह ही तय करेगे।