क्यों कर रहा हैं मुशर्रफ़ लश्कर-ए-तैयबा का समर्थन ? जानिए पूरी बात
परवेज़ मुशर्रफ़ जब सत्ता में थे जब भी कुछ न कुछ ऐसा बयान देते थे जिसकी वजह से वो हमेसा चर्चे में रहते थे ।और अब तो वो सत्ते में भी नहीं लेकिन आज भी सुर्खियों में बने रहते है और आज भी कुछ ऐसा ही बयान दिया है । पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ ने लश्कर-ए-तैयबा का समर्थन किया है. उनका ये बयान चौंकाने वाला नहीं है क्योंकि अब वो सत्ता में नहीं हैं । नेता चाहें भारत के हों या पाकिस्तान के जब वो सत्ता में होते हैं तब उनके बयान अलग होते हैं और जब वो सत्ता से बाहर होते हैं तब अलग । लेकिन मुशर्रफ़ के बयान बहुत ही न नामुराद है और जो वो कर रहे है सरेआम गलत है
परवेज़ मुशर्रफ़ जब पाकिस्तान के राष्ट्रपति थे तब उन्होंने अमरीका के वॉर ऑन टेरर का समर्थन किया था । और फिर 2001 के बाद जब वो इस अभियान से जुड़े तब वो जेहादी संगठनों के ख़िलाफ़ बोलते थे और इनके ख़िलाफ़ बेहद सख़्त रवैया रखते थे. उन्होंने कई वांछित लोगों और शीर्ष चरमपंथियों को पकड़वाकर पैसों के बदले अमरीका के हवाले भी किया था. लेकिन अब वो सत्ता से बाहर हैं और ख़ासतौर से नवाज़ शरीफ़ के ख़िलाफ़ हैं. उन पर लाल मस्जिद कार्रवाई और नवाब बुग़ती की हत्या का मुक़दमा भी चल रहा है लेकिन वो देश के बाहर बैठे हैं. इसके अलावा उन पर 2007 में आपातकाल लगाने से संबंधित मुक़दमा भी चल रहा है।डेढ़ साल से पनामा मामले में फंसी सरकार कुछ नहीं कर पा रही है. नवाज़ शरीफ़ पद से हट गए हैं और जो प्रधानमंत्री हैं वो अभी भी मानते हैं कि सरकार को शरीफ़ ही चला रहे हैं। मुशर्रफ़ ने लश्कर-ए-तैयबा का समर्थन कर इस झुकाव का फ़ायदा उठाकर सियासी जगह बनाने की कोशिश की है लेकिन ये जगह बनती हुई दिख नहीं रही है ।